प्रस्तावना: गीता का आरंभ भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से जो महान उपदेश गीता के रूप में दिया, वह पहले अध्याय की प्रस्तावना के रूप में प्रकट हुआ है। श्रीमद भगवद गीता के पहले अध्याय की शुरुआत धृतराष्ट्र के संजय से युद्ध की स्थिति जानने के प्रश्न से होती है। संजय ने उत्तर दिया कि पाण्डवों की सेना युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है और दुर्योधन ने अपनी सेना को इस प्रकार से व्यवस्थित किया है कि उनकी विजय सुनिश्चित है। पाण्डवों की सेना में प्रमुख महारथियों में श्री कृष्ण, अर्जुन, युयुधान, विराट, द्रुपद, धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज, पुरुजित, कुन्तिभोज, शैव्य, युधामन्यु, उत्तमौजा, सुभद्रा के पुत्र और द्रौपदी के पुत्र शामिल हैं। वहीं, कौरवों की सेना में भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण और भूरिखवा जैसे महान वीर शामिल हैं। शंखनाद का महत्व जब युद्ध का समय आया, तो भीष्म पितामह ने शंख बजाया और उसके बाद श्री कृष्ण ने पाञ्चजन्य, अर्जुन ने देवदत्त, भीम ने पौण्डु, युधिष्ठिर ने अनन्तविजय, नकुल ने सुघोष, और सहदेव ने मणिपुष्पक नामक शंख बजाए। श्री कृष्ण, जो अर्जुन के सारथी थे, अर्जु...